गुजरात में घांची जाति के लोग हिन्दू घांची व मुस्लिम घांची दो समुदायों के है व अब हिन्दु घांची गुजरात में मोदी व आबू के आसपास लाठेचा क्षत्रिय के नाम से जाने जाते हैं
घांची समाज के लोग जोधपुर में गोपालक के नाम से भी कहलाते है।
मालवे में राठ़ौड जाति के तेली घॉची नहीं है ऐसा मानते हैं।
लाठेचा क्षत्रीय नाम लाठी उठाने के कारण पड़ा और बहुत दिनों तक यह नाम चलता रहा।
इस तरह घाणेरा घॉची नाम घॉणी चलाने से, कचौलिया तेली कच्चे तेल के कारण और गौपालक घॉची गाय आदि पशुपालने से कहलाया।
गुजरात में मोदी नाम से प्रचलित है। परन्तु वास्तव में राजपुत क्षत्रियों की नौ गौत्रों में इनकी शाखाए है। और ये राजपूतो से निकली हुई गौत्र है जो घॉची के नाम से पहचाने जाते है।
1.
घॉची शब्द गुजराती भाषा का है, जबकि तेली शब्द उत्तरी भारत का हिन्दी भाषा का है।
लाठेचा क्षत्रिय घॉची गुजरात पाटण से आए हैं। जिनकी राजपूतों में से आठ नव गौत्र है। जैसे-भाटी , सोंलकी , परमार, देवड़ा-चौहान , राठौड़ , गहलोत , परिहार , परिहारिया, बोराणा आदि।
क्षत्रिय घॉची समाज में मघ (दारु) मांस का परहेज है।
4. क्षत्रिय घॉची जाति में औरतो की नाक में सोने की बाली पहहने का जाति रिवाज है।
5. क्षत्रिय घॉची कचेलिया कहलाते है। यानी कच्चे बाद में बनें।
6. सनातन धर्मों के आचार्यो ने क्षत्रिय घॉचीयों को उच्ची जाति का माना है। और इनके हाथ का भोजन स्वीकार किया है।
7 क्षत्रिय घॉची जाति के महाराजा कुमारपाल सोंलकी वंश के तथा वेलाजी भाटी विशेष माहापुरूष थे।
8.
यह कार्य घॉणी चलाना राज्य का धर्म कार्य होने से उस समय के गुजरात के व्यापारियों आदि ने भी इस कार्य में मदद की थी।
वह ब्रहापुरिया मोर घॉची कहलाये उनके राव न होने से गांव के नाम से उनकी गौत्रे है, जैसे- सिद्धपुरिया , खम्भाति , सुरती , पटनी , चम्पानेरी मोर आदि अब मोदी घॉची भी कहते है।
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बोराणा गोत्र सुध रूप से तंवर वंस की गोत्र है, तंवर तोमर जो कि पाण्डु पुत्र अर्जुन के वंशज है। क्षत्रिय वंस की शाखा है, राजा अनंगपाल प्रथम के पुत्र बोडाना जिनका मालवा , मारवाड़ ओर देसूरी पर सासन था। अनंगपाल प्रथम के पुत्र बोडाना के नाम से ओर उनके वंस से बोराणा गोत्र की उतपति हुई और धीरे धीरे बोराणा गोत्र के रूप परचलित हो गई । इस तरह ये तंवर राजपुतो की एक शाखा बोराणा बनी । तंवर वंस बोराणा वंस एक ही है। ये सब हमारे राव भाटो की बहियों में लिखा है।
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